मिग-21 बाइसन की ख़ासियत(Mig 21 Fighter Plane Specifications in Hindi)के बारे में पूरी जानकारी हम इस आर्टिकल में जानेंगे और साथ ही साथ हम यह भी जानेंगे कि इंडिया को किस सन् में सोवियत संघ ने मिग 21 बनाने का लाइसेंस दिया था और हम यह भी जानेंगे कि एक प्लेन (mig 21 fighter plane) की कीमत क्या है। तो अगर आप फाइटर प्लेन से रिलेटेड जानकारी रखने में रूची रखते हैं तो यह आर्टिकल आप के लिए है।
उत्पादक देश | सोवियत संघ (रूस) |
प्रकार | लडाकू विमान |
उत्पादक कम्पनी | मिकोयान-गुरेविच |
प्रथम उड़ान | 14 फ़रवरी 1955 |
निर्मित इकाई | 11496(10645 सोवियत रुस मे निर्मित, 194 चकोस्लावाकिया में निर्मित, 657 भारत में निर्मित) |
चालकदल | 1 |
लंबाई | 14.7 मी (48 फीट 2 इंच) |
पंख फैलाव | 7.154 मी (23 फीट 6 इंच) |
ऊंचाई | 4 मी (13 फीट 6 इंच) |
पंख क्षेत्र | 23 मी² (247.6 फीट²) |
खाली वजन | 5,846 किलोग्राम |
उपयोगी भार | 8,725 किलोग्राम 2 × के-13ए मिसाइल के साथ |
अधिकतम उड़ान वजन | 9,800 किलोग्राम |
पावर प्लांट | 1 × तुमानस्की आर-25-300 आफ्टरबर्न टर्बोजेट आफ्टरबर्नर के साथ थ्रस्ट: 69.62 किलोन्यूटन मूल थ्रस्ट: 40.21 किलोन्यूटन |
अधिकतम गति | समुद्र स्तर पर: मैक 1.05 (1,300 किमी/घंटा; 808 मील प्रति घंटा) 13,000 मी (42,640 फीट) पर: मैक 1.76 , उच्च ऊंचाई: मैक 1.8 (1,912 किमी/घंटा, 1,032 समुद्री मील) (2,175 किमी/घंटा; 1,351 मील प्रति घंटा) |
रेंज | 1,470 किमी (910 मील; 790 नॉटिकल मील) 2 × के-13ए मिसाइल और 800 लीटर के साथ, 10,000 मी (32,800 फीट) के साथ |
अधिकतम सेवा सीमा | 17,500 मी (57,400 फीट) |
आरोहन दर | 225 मी/से (44,280 फीट/मिनट) |
विंग लोडिंग | 452.2 किलोग्राम /मी² |
अधिकतम g-लोड | 8.5 g |
लैंडिंग की गति | 350 किमी/घंटा (190 किलोन्यूटन), आमतौर पर ड्रग पैराशूट के साथ |
प्राथमिक उपयोक्तागण | सोवियत वायुसेना पोलिश वायुसेना भारतीय वायुसेना रोमानियन वायुसेना |
एक प्लेन (mig 21 fighter plane) की कीमत | 177 करोड़ रुपए |
Table of Contents
मिग-21 बाइसन की ख़ासियत(Mig 21 Fighter Plane Specifications in Hindi)
- मिग-21 बाइसन आधुनिक हथियारों से लैस मिग-21 सिरीज़ का सबसे उन्नत लड़ाकू विमान है। इसका उपयोग इंटरसेप्टर के रूप में किया जाता है।
- इंटरसेप्टर लड़ाकू विमानों को दुश्मन के विमानों, ख़ासकर बमवर्षकों और टोही विमानों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है।
- भारतीय वायुसेना ने पहली बार 1960 में मिग-21 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था।
- करगिल युद्ध के बाद से भारतीय वायुसेना अपने बेड़े से पुराने मिग-21 विमानों को हटाकर इसी के उन्नत मिग-21 बाइसन को शामिल की है।
- मिग-21 बाइसन(Mig 21 Fighter Plane) में एक बड़ा सर्च एंड ट्रैक रडार लगा है जो रडार नियंत्रित मिसाइल को संचालित करता है और रडार गाइडेड मिसाइलों का रास्ता तय करता है।
- इसमें बीवीआर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जो आखों से ओझल मिसाइलों के ख़िलाफ़ सामान्य लेकिन घातक लड़ाकू विमान को युद्ध क्षमता के योग्य बनाता है।
- इन लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रॉनिक और इसकी कॉकपिट उन्नत क़िस्म की होती है।
- मिग-21 बाइसन (Mig 21 Fighter Plane) सुपरसोनिक लड़ाकू जेट विमान है जो लंबाई में 14.76 मीटर और चौड़ाई में 7.15 मीटर है। बिना हथियारों के ये क़रीब 5846 किलोग्राम को होता है जबकि असलहा लोड होने के बाद क़रीब 8,725 किलोग्राम तक के वज़न के साथ उड़ान भर सकता है।
- सोवियत रूस के मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो ने इसे 1955 में बनाना शुरु किया था।
- बाद के दौर में इसे और बेहतर बनाने की प्रक्रिया चलती रही और इसी क्रम में मिग को अपग्रेड कर मिग-बाइसन सेना में शामिल किया गया।
- मिग-21 (Mig 21 Fighter Plane) एक हल्का सिंगल पायलट लड़ाकू विमान है। और लगभग 18 हज़ार मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ सकता है।
- इसकी स्पीड अधिकतम लगभग 2175 किलोमीटर प्रति घंटे यानी 1300 नॉट्स (मैक 1.05) तक की हो सकती है।
- ये आसमान से आसमान में मार करने वाली मिसाइलों के साथ-साथ बम ले जा सकने में सक्षम है।
- 1965 और 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में मिग-21 विमानों का इस्तेमाल हुआ था। 1971 में भारतीय मिग ने चेंगड़ु एफ़ विमान (ये भी मिग का ही एक और वेरियंट था जिसे चीन ने बनाया था) को गिराया था।
- पेंसल जैसा आकार, पतला, सिलेंड्रिकल का दिखने वाला यह फाइटर जेट(रूसी भाषा में उनके वाद्ययंत्र आलोवेक जैसा दिखने के कारण इसे बलालैका कहा जाता था) अपने लक्ष्य को ढूंढने, उसे तेजी से हमले में ध्वस्त करने और उतनी ही फुर्ती से वापस अपने अड्डे की तरफ लौट आने में माहिर है।
- मिग-21 (Mig 21 Fighter Plane) ने पहली उड़ान 1955 में भरी। 1959 में यह सोवियत रूस की सेना में शामिल हुआ। 1990 तक सिंग इंजन, सिंगल पायलट के सहारे उड़ान भरने वाले इस फाइटरजेट ने अपनी सेवाएं दी। भारतीय वायुसेना में अभी मिग -21 सिरीज के विमान फेज-आऊट हो रहे हैं। इसी क्रम में जिन मिग-21 विमानों की स्थिति अच्छी थी, वायुसेना ने उन्हें मल्टीरोल रेडार, हाई क्वालिटी की एवियानिक्स, इलेक्र्टानिक उपकरण, मल्टीरोल संचार प्रणाली, रेडार से अपग्रेड करके 20 साल तक और सेवाएं लेने में सक्षम बनाया है।
- मिग-21 बाइसन(Mig 21 Fighter Plane) में हेलमेट माऊंट साइट, यानी अत्याधुनिक कॉकपिट है। आर-73और आर-77 मध्यम दूरी की मिसाइल से दुश्मन के वार, दुश्मन के फाइटर जेट और हवा से हवा में या हवा से जमीन पर मार करने में सक्षम है। यह किसी भी अत्याधुनिक लड़ाकू विमान की तरह मिसाइल, हथियार ले जाने में सक्षम है।
- इसके बाई तरफ दुश्मन पर निशाना साधने के लिए गन है और 450 राऊंड गोलियों की बरसात कर सकता है। मिग-21 बाइसन की मारक क्षमता करीब 1470 किमी है। इसमें उन्नत सर्च रेडार, ट्रैकिंग सिस्टम लगा है और यह प्रणाली आसानी से रेडार नियंत्रित मिसाइल को संचालित करती है। जैमर्स और प्रतिरोधी क्षमता से लैस है। मिग-21 बाइसन की स्पीड भी लगभग 2175 किमी प्रतिघंटा है। यह दुश्मन के रेडार की आंखों में धूल झोकने में सक्षम है।
- यह फाइटर जेट सोवियत जेट का एक अपग्रेडेड वर्जन है।
- मिग-21 बाइसन शॉर्ट रेंज और मीडियम रेंज एयरक्राफ्ट मिसाइलों से हमला करने में सक्षम है।
- अप्रेगेड होने के बाद यह पाकिस्तानी एफ-16 जैसे फाइटर जेट को टक्कर दे सकता है।
- मिग-21 बाइसन ने वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिकी फाइटर विमानों का किया था सामना।
- भारतीय वायुसेना ने साल 2013 में मिग-21 के 50 साल पूरे होने का जश्न मनाया था।
इंडिया को सन् 1967 में सोवियत संघ से मिला मिग-21 बनाने का लाइसेंस
रूस और चीन के बाद भारत MiG-21 का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है। 1964 में इस विमान को पहले सुपरसॉनिक फाइटर जेट के रूप में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया। भारत ने रूस से इस विमान को यहीं पर असेंबल करने का अधिकार और तकनीक हासिल की थी।तब से लेकर अब तक इस विमान ने 1971 के भारत-पाक युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध समेत कई अहम मौकों पर अहम भूमिका निभाई है।रूस ने तो 1985 में इस विमान का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके अपग्रेडिड वेरिएंट का इस्तेमाल करता आ रहा है। सितंबर, 2018 तक वायु सेना के पास तकरीबन 120 मिग-21(Mig 21 Fighter Plane) विमान थे। इन्हें 2021-22 तक सेवा से बाहर कर दिया जाएगा।
एक प्लेन की कीमत 177 करोड़ रुपए-
MiG-21 सोवियत संघ का प्रोडक्ट है। इसे Mikoyan-Gurevich Design Bureau ने 1950 में डिजायन किया था। इस single-engine फाइटर प्लेन का जब निर्माण शुरू हुआ तब इसकी कीमत तकरीबन 20 करोड़ रुपए (29 लाख डॉलर) थी। मौजूदा समय में इसकी कीमत 177 करोड़ रुपए (25.1 अरब डॉलर) है। 2012 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायसेना के पास उस समय 100 से अधिक MiG-21 Bison एयरक्राफ्ट थे। उस समय एक Bison जेट की कीमत 20 करोड़ रुपए थी।
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