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CRPF Full Form in Hindi – सीआरपीएफ का पूरा नाम क्या है
CRPF full form in Hindi : CRPF की फूल फॉर्म Central Reserve Police Force है। इसको हिंदी भाषा में “केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल” कहा जाता है। यह एक Paramilitary Force है जो भारत में सबसे बड़ी Central Armed Police Force है। CRPF भारत सरकार के गृह मामलों के मंत्रालय के तहत काम करता है। आइए जानते हैं सीआरपीएफ के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत का सबसे बड़ा केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल है और इसका अतीत गौरवशाली रहा और इसका वर्तमान काफी सशक्त है। इसका इतिहास, असंख्य वीर गाथाओं से भरा पड़ा है जिसमें बल के कर्मियों के प्रेरणादायक और साहसपूर्ण कार्यों का ब्यौरा है। वर्तमान समय में, सीआरपीएफ पूरी दम लगाकर माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर गुरिल्ला युद्ध में लगी हुई है। सीआरपीएफ कई सालों से कठिन लड़ाईयों को लड़ती हुई आ रही है और कई बार, इसने भारतीय सेना के साथ मिलकर युद्ध भी लड़े हैं।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल 27 जुलाई 1939 को क्राउन रिप्रेजेन्टेटिव के पुलिस के रूप में अस्तित्व में आया जो 28 दिसंबर 1949 को सीआरपीएफ अधिनियम के लागू होने पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल बन गया । केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल गौरवशाली इतिहास के 82 वर्ष पूरे कर चुका है | यह बल 246 बटालियनों (203 जी डी बटालियन, 05 वी आई पी सुरक्षा बटालियन, 06 महिला बटालियन, 15 आर.ए.एफ. बटालियन, 10 कोबरा बटालियन, 05 बेतार बटालियन, 01 विशेष ड्यूटी ग्रुप और 1 संसदीय ड्यूटी ग्रुप), 43 ग्रुप केंद्रों, 22 प्रशिक्षण संस्थानों, 03 सी.डब्ल्यू.एस., 07 ए.डब्ल्यू.एस., 03 एस.डब्ल्यू.एस., 100 बिस्तरे वाले 04 संयुक्त अस्पतालों और 50 बिस्तरे वाले 18 संयुक्त अस्पतालों एवं 06 फील्ड अस्पतालों के गठन से बना हुआ एक बड़ा संगठन है।
केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल का मिशन
केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल का ध्येय है कि वह संविधान को सर्वोपरि बनाये रखते हुए, प्रभावशाली एवं दक्षतापूर्ण तरीके से विधि-व्यवस्था, लोक व्यवस्था एवं आन्तरिक सुरक्षा को कायम रखने में सरकार को समर्थ बनाये, ताकि राष्ट्रीय-अखण्डता अक्षुण्ण बनी रहे और सामाजिक-सौहार्द तथा विकास का मार्ग प्रशस्त हो|
केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल का इतिहास
- आंतरिक सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) भारत संघ का प्रमुख केंद्रीय पुलिस बल है। यह सबसे पुराना केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बल (अब केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के रूप में जानते हैं) में से एक है जिसे 1939 में क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस के रूप में गठित किया गया था। क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस द्वारा भारत की तत्कालीन रियासतों में आंदोलनों एवं राजनीतिक अशांति तथा साम्राज्यिक नीति के रूप में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में लगातार सहायता करने की इच्छा के मद्देनजर, 1936 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मद्रास संकल्प के मद्देनजर सीआरपीएफ की स्थापना की गई।
- आजादी के बाद 28 दिसम्बर, 1949 को संसद के एक अधिनियम द्वारा इस बल का नाम केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल दिया गया था। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने नव स्वतंत्र राष्ट्र की बदलती जरूरतों के अनुसार इस बल के लिए एक बहु आयामी भूमिका की कल्पना की थी।
- आजादी के तुरंत बाद कच्छ, राजस्थान और सिंध सीमाओं में घुसपैठ और सीमा पार अपराधों की जांच के लिए सीआरपीएफ की टुकडि़यों को भेजा गया। तत्पश्चात पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा शुरू किए गए हमलों के बाद इनको जम्मू-कश्मीर की पाकिस्तानी सीमा पर तैनात किया गया। भारत के हॉट स्प्रिंग (लद्दाख) पर पहली बार 21 अक्तूबर 1959 को चीनी हमले को सीआरपीएफ ने नाकाम किया। सीआरपीएफ के एक छोटे से गश्ती दल पर चीन द्वारा घात लगाकर हमला किया गया जिसमें बल के दस जवानों ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी शहादत की याद में देश भर में हर साल 21 अक्तूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- 1962 के चीनी आक्रमण के दौरान एक बार फिर बल ने अरूणाचल प्रदेश में भारतीय सेना को सहायता प्रदान की। इस आक्रमण के दौरान सीआरपीएफ के 8 जवान शहीद हुए। पश्चिमी और पूर्वी दोनों सीमाओं पर 1965 और 1971 में भारत पाक युद्ध में भी बल ने भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया।
- भारत में अर्द्ध सैनिक बलों के इतिहास में पहली बार महिलाओं की 1 टुकड़ी सहित सीआरपीएफ की 13 कंपनियों को आतंवादियों से लड़ने के लिए भारतीय शांति सेना के साथ श्रीलंका में भेजा गया। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के एक अंग के रूप में सीआरपीएफ के कर्मियों को हैती, नामीबीया, सोमालिय और मालद्वीव के लिए वहां की कानून और व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए भेजा गया।
- 70 के दशक के पश्चात जब उग्रवादी तत्वों द्वारा त्रिपुरा और मणिपुर में शांति भंग की गई तो वहां सीआरपीएफ बटालियनों को तैनात किया गया था। इसी दौरान ब्रह्मपुत्र घाटी में भी अशांति थी। सीआरपीएफ की ताकत न केवल कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए बल्कि संचार तंत्र व्यवधान मुक्त रखने के लिए भी शामिल किया गया। पूर्वोत्तर में विद्रोह की स्थिति से निपटने के लिए इस बल की प्रतिबद्धता लगातार उच्च स्तर पर है।
- 80 के दशक से पहले पंजाब में जब आतंकवाद छाया हुआ था, तब राज्य सरकार ने बड़े स्तर पर सीआरपीएफ की तैनाती की मांग की थी।
केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल का भूमिका
समस्त भारत में सीआरपीएफ की तैनाती होती है, साथ ही साथ हर जगह इसके केन्द्र होते हैं। इसकी अदभुत क्षमता के कारण, किसी भी शीघ्र आवश्यकता पड़ने वाली स्थितियों में सीआरपीएफ को बुलाया जाता है, चूंकि यह राज्य पुलिस के साथ सामंजस्यपूर्ण ढंग से काम करती है, इसलिए यह अनुकूल होती है; पिछले कई सालों से सीआरपीएफ ने लोगों और राज्य प्रशासन के द्वारा सबसे अधिक स्वीकार्य बल का दर्जा हासिल कर लिया है।
अति विशिष्ट व्यक्तियों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा
- सीआरपीएफ की महत्वपूर्ण भूमिकाओं में से एक सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है जिस पर अमूमन हमारा ध्यान नहीं जाता है, वह है – केन्द्र सरकार के द्वारा स्थापित स्थलों जैसे- हवाईअड्डा, पुलों, पॉवरहाउस, दूरदर्शन केन्द्रों, सभी ऑल इंडिया रेडियो स्टेशनों, राज्यपालों के निवासस्थलों और मुख्यमंत्री आवासों की सुरक्षा करना। इसके अलावा, सीआरपीएफ, राष्ट्रीय बैंकों व अन्य सरकारी स्थलों पर भी सुरक्षा में तैनात रहती है। सीआरपीएफ, लोकतांत्रिक संस्थानों की सुरक्षा को सुनिश्चित करती है, और वहां किसी भी प्रकार की उग्रवादी गतिविधियों को होने से रोकती है, बेहद अशांत क्षेत्रों में सीआरपीएफ की भूमिका बेहद अहम होती है। सीआरपीएफ का यह योगदान, न सिर्फ विचारणीय हैं बल्कि यह देश के हित में बेहद खास है।
- बल का 7.5 प्रतिशत हिस्सा, उत्तरी-पूर्व राज्यों, जम्मू और कश्मीर, बिहार व आंध्र प्रदेश में अतिविशिष्ट लोगों की सुरक्षा में तैनाती किया गया है जिसमें जम्मू-कश्मीर, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड, त्रिपुरा व मिजोरम के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद जैसे अन्य विशिष्ट व्यक्ति शामिल हैं। इसके अलावा, सीआरपीएफ, भारत के प्रधानमंत्री के कार्यालय व निवासस्थल तथा अन्य केन्द्रीय मंत्रियों व गणमान्य व्यक्तियों के आवासस्थानों और कार्यालयों पर भी तैनाती रहती है ताकि उनकी सुरक्षा में कोई चूक न हो सकें।
- फोर्स का 17.5 प्रतिशत हिस्सा, सचिवालयों, दूरदर्शन केन्द्रों, दूरभाष केन्द्रों, बैंकों, पानी की बिजली परियोजनाओं, जेल आदि व आंतकवाद प्रभावित क्षेत्रों में केन्द्र और राज्य सरकारों के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की रक्षा के लिए प्रतिनियुक्त किया गया है।
- सीआरपीएफ के 10 कॉय, तीन संवेदनशील स्थानों; कृष्ण जन्मभूमि- शाही इदगाह मस्जिद कॉम्पलेक्स (मथुरा), राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद (अयोध्या) और काशी विश्वनाथ मंदिर – ज्ञानवापी मस्जिद (वाराणसी) पर तैनात रहते हैं। फोर्स के 4 कॉय, माता वैष्णो देवी मंदिर, कटरा, जम्मू कश्मीर में सुरक्षा के लिए मुश्तैद रहते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाव और राहत
सीआरपीएफ ने देश में आई विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाव और राहत कार्यों को किया है; जैसे- ओडिया सुपर साईक्लोन (1999), गुजरात में भूकम्प (2001), सुनामी (2004) और जम्मू-कश्मीर में भूकम्प (2005)। सीआरपीएफ ने साबित कर दिखाया है कि यह, श्रीलंका (1987), हैती (1995), कोसोवो (2000) और लाइबेरिया (महिला दस्ता) जैसे; विभिन्न विदेशी संयुक्त राष्ट्र तैनाती के दौरान भी वीरतापूर्वक कार्य करती है।
बहादुर जवानों द्वारा देश के लिए बलिदान
अब तक, सीआरपीएफ के 1997 बहादुर जवानों ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया है। पराक्रम को प्रदर्शित करने वाले, 01 जॉज क्रॉस, 03 किंग पीएमजी, 01 अशोक चक्र, 01 कीर्ति चक्र, 01 वीर चक्र, 12 शौर्य चक्र, 1 पद्म श्री, 49 पीपीएफएसएमजी, 185 पीपीएमजी, 1028 पीएमजी, 5 आईपीएमजी, 4 विशिष्ट सेवा मेडल, 1 युद्ध सेवा मेडल, 5 सेना मेडल, जीवन बचाने के लिए 91 वीएम पुलिस मेडल और 2 जीवन रक्षक पदक, सीआरपीएफ को प्राप्त हुए हैं।
वामपंथी उग्रवाद से निपटना
पिछले पांच वर्षों में, सीआरपीएफ ने 715 उग्रवादियों/नक्सलियों को निष्प्रभावित, 10626 को गिरफ्तार किया है, 1994 ने समर्पण कर दिया। इसके अलावा, सीआरपीएफ ने 5176 शस्त्रों, 162743 गोला बारूद, 54394 विस्फोटक, 2917 ग्रेनेड, 2298 बम, 56 रॉकेट, 2063 आईईडी, 31653 डेटोनेटर, 4084 जिलेटिन छड़ें, 13850 किग्रा. नारकोटिक्स और 10 करोड़ रूपए को बरामद किया गया।
चुनाव के दौरान सीआरपीएफ की भूमिका
- कानून व व्यवस्था बनाएं रखने और उग्रवाद को खत्म करने के अलावा, पिछले कई वर्षों से सीआरपीएफ की भूमिका शांतिपूर्ण चुनाव करवाने में भी रही है। जम्मू और कश्मीर, बिहार और उत्तरपूर्व के राज्यों में चुनावों के दौरान, सीआरपीएफ की भूमिका सराहनीय और महत्वपूर्ण होती है। संसदीय चुनाव और राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान, सीआरपीएफ सुरक्षा व्यवस्था में बहुत विशेष ढंग से मुस्तैद रहती है।
- जिन राज्यों में चुनाव हो रहा हों, वहां के फोर्स मुख्यालय पर 24×7 नियंत्रण कक्ष में सक्रिय रहना और चुनाव ड्यूटी के लिए प्रतिनियुक्त सैनिकों की आवाजाही और तैनाती को देखना।
- चुनाव होने वाले राज्यों की सुरक्षा की रूपरेखा तैयार करना।
- राज्य प्राधिकरण के साथ परामर्श करके क्षेत्र/बूथ की संवेदनशीलता के हिसाब से सैनिकों को तैनात करने की तैयारी करना। सभी बलों के लिए एक विशेष पहचानपत्र जारी करना, ताकि चुनाव होने वाले राज्यों के स्थानीय अधिकारी, वहां तैनात सैनिकों के साथ आसानी से सांमजस्य बैठा पाएं और सैनिकों के कमांडर, उचित तरीके से कमांड और नियंत्रण रख पाएं।
सीआरपीएफ की विशेष भूमिका
- आरएएफ
- महिला बटालियन
- कोबरा
1. आर.ए.एफ
आर.ए.एफ. एक विशिष्ट बल है। प्रारंभ में 10 बटालियन के साथ इसे 07 अक्टूबर,1992 में खड़ा किया गया था तथा बाद में दिनांक 01/01/2018 से इसमें 05 बटालियन की बढ़ोत्तरी की गई है । इसे दंगों तथा दंगों जैसी किसी भी स्थितियों से निपटनें,समाज के विभिन्न वर्गो में परस्पर आत्मविश्वास के माहौल को बढ़ावा देने के साथ-साथ देश में आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी में योगदान देने के लिए खड़ी की गई है।
आर.ए.एफ. एक शून्य-अंतराल की विशेष फोर्स है जो किसी भी आपदा/दंगा की स्थितियों से तत्परता से निपटती है जिससे आम जनता में तत्काल सुरक्षा एवम् विश्वास का माहौल व्याप्त हो जाता है।
आर.ए.एफ. के प्रशिक्षित महिला एवं पुरूष से सुसज्जित टीमों ने संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति सेना दस्तों में भाग लेकर विभिन्न देशों जैसी हेती, कोसोवो, लाईबेरिया आदि में प्रतिवर्ष शांति बहाली का सफलतापूर्वक बेहतरीन कार्य करके अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपने देश व इस बल का नाम गर्व से ऊँचा किया है।
इसके कुल 3 हिस्से होते हैं – दंगा नियंत्रण स्कंध, अश्रुगैस स्कंध तथा अग्निशमन स्कंध है जो एक स्वतंत्र प्रहरी यूनिट के तौर पर सृजित की गई है।
आर.ए.एफ. की प्रत्येक कम्पनियों में एक महिला टीम होती है जो किसी भी महिला प्रर्दशनकारियों से प्रभावी ढंग से निपटने में पूर्णतः सक्षम होती है।
3. महिला बटालियन
अर्द्ध सैनिक बलों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ही एकमात्र ऐसा बल है जिसमें 5 महिला बटालियनें हैं। राजनीति, आंदोलन व अपराध आदि में महिलाओं की बढ़ती हुई प्रतिभागिता के चलते पुलिसकर्मी महिला आंदोलनों विशेषकर छोटे, वास्तविक और आरोपित अपराधियों से संबंधित किसी भी मामले को नियंत्रित करने में असहाय महसूस करते थे, चूंकि इन मामलों में कानून एवं व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने का अंदेशा बना रहता है। इस प्रकार की संभावनाओं से निपटने के लिए सीआरपीएफ में पहली महिला बटालियन के रूप में 88 (महिला) बटालियन की 1986 में स्थापना की गई और इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थापित किया गया। 88 (महिला)बटालियन की स्थापना के सफल प्रयोग एवं महिला कार्मिकों की बढ़ती हुई कानून-व्यवस्था समस्याओं के चलते अभूतपूर्व बढ़ती हुई आवश्यकता एवं महिलाओं के सशक्तीकरण पर सरकार के जोर को ध्यान में रखते हुए विभाग ने दूसरी और तीसरी महिला बटालियन के रूप में क्रमश: 135 (महिला) बटालियन, गांधीनगर (गुजरात) की 1995 में एवं 213 (महिला) बटालियन, मुख्यालय नागपुर (महाराष्ट्र) की 2011 में स्थापना करने का निर्णय लिया।
उक्त अवधारणा का और विस्तार करते हुए एक और नई सीआरपीएफ महिला बटालियन अर्थात् 232 (महिला) बटालियन को 2014-15 में अजमेर में स्थापित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त 02 और महिला बटालियन क्रमशः 2015-16 एवं 2016-17 में स्थापित की गयी हैं ।
वर्तमान में महिला कार्मिक जम्मू-कश्मीर, अयोध्या, मणिपुर, असम और देश के विभिन्न भागों में सक्रिय ड्यूटी पर तैनात हैं, जहां वे प्रशंसनीय कार्य कर रही हैं। साथ ही, प्रत्येक आर.ए.एफ. बटालियन में 96 महिला कार्मिक भी होती हैं।
3. कोबरा कमांडो
भारत सरकार ने उग्रवादियों एवं विद्रोहियों से निपटने और गुरिल्ला/जंगल युद्ध जैसे ऑपरेशनों में दृढ़तापूर्वक कार्रवाई के लिए (कोबरा) कमाण्डों बटालियन फॉर रेजोल्यूट एक्शन के गठन की मंजूरी गृह मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई थी।
कोबरा कमांडो फोर्स के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दी हुई लिंक पर क्लिक करें।