- गरुड़ कमांडो (Garud Commando) फोर्स भारत की एक स्पेशल फोर्स है जोकि भारतीय वायुसेना संभालती है।
- गरुड़ कमांडो फोर्स का गठन 6 फरवरी 2004 में किया गया था।
- गरुड़ कमांडो फोर्स का हेड क्वार्टर हिंडन, गाजियाबाद में स्थित है।
- इनका आदर्श वाक्य जिसे कि हम इंग्लिश में मेन मोटो बोलते हैं, वह है, ” प्रहार से सुरक्षा “
- और इनका मेन रोल :- डायरेक्ट एक्शन, वार फेयर।
- एयरबोर्न ऑपरेशन, कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू , फौरन इंटरनल डिफेंस आदि।
Table of Contents
गरुड़ कमांडों (Garud Commando) का गठन
- जम्मू-कश्मीर में 2001 में एयर बेस पर आतंकी हमले के बाद वायु सेना को एक खास तरह फोर्स की जरूरत महसूस हुई, जो ऐसे हमलों को रोक सके या सफलता पूर्वक उनका सामना कर सके।
- 2003 में गरुड़ कमांडो (Garud Commando) फोर्स बनाने का फैसला लिया गया था, लेकिन 6 फरवरी, 2004 को इन्हें इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया।
- पहले इसका नाम ‘टाइगर फोर्स’ रखा गया था, जिसे बाद में ‘गरुड़ फोर्स’ कर दिया गया।
- सितंबर 2003 में जब भारत सरकार ने इस फोर्स की मंजूरी दी, तो सबसे पहले 100 वॉलंटियर्स को ट्रेनिंग दी गई, जिनमें से 62 आखिर में चुने गए।
- ये डायरेक्ट एक्शन ले सकते हैं, हवाई हमला कर सकते हैं, स्पेशल ऑपरेशन चला सकते हैं, ज़मीनी लड़ाई लड़ सकते हैं, विद्रोह संभाल सकते हैं, सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन भी कर सकते हैं।
- ये वॉर-टाइम और पीस-टाइम, दोनों वक्त में काम आते हैं।
- गरुड़ कमांडोज़ (Garud Commando) की तादाद सीक्रेट है, लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि पठानकोट हमले से पहले इनकी संख्या 1080 थी, जो हमले के बाद बढ़ाकर 1780 कर दी गई है।
- गरुड़ कमांडोज की ट्रेनिंग नेवी के मार्कोस और आर्मी के पैरा कमांडोज की तर्ज पर ही होती है।
- इन्हें एयरबॉर्न ऑपरेशंस, एयरफील्ड सीजर और काउंटर टेररेजम का जिम्मा उठाने के लिए ट्रेन्ड किया जाता है।
- इंडियन एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो (Garud Commando) मुश्किल हालात में न केवल जमीन, आसमान और पानी में किसी भी ऑपरेशन को बखूबी अंजाम दे सकते हैं, बल्कि दुश्मन को घर में घुस कर भी मार सकते हैं।
गरुड़ कमांडों (Garud Commando) की ट्रैनिंग
- शुरुआती 3 महीनों के प्रॉबेशन पीरियड के दौरान अगले दौर की ट्रेनिंग के लिए बेस्ट जवानों की छंटनी होती है।
- अगले फेज की ट्रेनिंग स्पेशल फ्रंटियर फोर्स, इंडियन आर्मी और नेशनल सिक्यॉरिटी गार्ड्स के साथ दी जाती है।
- जो इस फेज में सफल होते हैं, वे अगले दौर की ट्रेनिंग में जाते हैं।
- गरुड़ कमांडो (Garud Commando) को लगभग ढाई साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद तैयार किया जाता है।
- इतनी सख्त ट्रेनिंग में सफल रहने वाले जवानों को फिर आगरा के पैराशूट ट्रेनिंग स्कूल भेजा जाता है।
- मार्कोस और पैरा कमांडोज की तरह गरुण कमांडो भी सीने पर पैरा बैज लगाते हैं।
- गरुड़ कमांडोज को मिजोरम में काउंटर इन्सर्जन्सी ऐंड जंगल वारफेयर स्कूल (सीआईजेडब्लूएस) में भी ट्रेनिंग दी जाती है।
- भारतीय सेना का यह संस्थान अपारंपरिक युद्ध में विशेषज्ञता प्रदान करने वाला प्रशिक्षण संस्थान है।
- इस संस्थान में न केवल गरुड़ कमांडो, बल्कि दुनियाभर की सेनाओं के सिपाही काउंटर-इन्सर्जन्सी ऑपरेशंस की ट्रेनिंग लेने आते हैं।
- इसके अलावा गरुड़ कमांडो को हर तरह से युद्ध के लिए तैयार करने के लिए ट्रेनिंग के अंतिम दौर में इन्हें भारतीय सेना के पैरा कमांडोज की सक्रिय यूनिट्स के साथ फर्स्ट हैंड ऑपरेशनल एक्सपीरियंस के लिए भी अटैच किया जाता है।
- जहां वे अन्य बारीकियों को सीखते हैं।
- कमांडो ट्रेनिंग (Garud Commando) में इन्हें उफनती नदियों और आग से गुजरना, बिना सहारे पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है। भारी बोझ के साथ कई किलोमीटर की दौड़ और घने जंगलों में रात गुजारनी पड़ती है।
- खतरनाक हथियारों से लैस इंडियन एयरफोर्स के खूंखार गरुड़ कमांडो दुश्मन को खत्म करके ही सांस लेते हैं।
- उन्हें सीधे स्पेशल फोर्स की ट्रेनिंग के लिए भर्ती किया जाता है और एक बार फोर्स जॉइन करने के बाद कमांडो अपने पूरे करियर के लिए यूनिट के साथ रहते हैं।
- इस वजह से यूनिट के पास लंबे समय के लिए बेस्ट सोल्जर रहते हैं।
52 सप्ताह तक चलता है शुरुआती प्रशिक्षण
- गरुड़ कमांडो में भर्ती होना कोई आसान काम नहीं है। सभी रंगरूटों के लिए बेसिक प्रशिक्षण कार्यक्रम 52 सप्ताह तक चलता है, जो भीरतीय विशेष बलों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सबसे लंबा है।
- शुरुआत के तीन महीने बेहत संघर्षपूर्ण होते हैं। इनमें से सर्वश्रेष्ठ लोग ही ट्रेनिंग के अगले चरण में प्रवेश कर पाते हैं।
- प्रशिक्षण का दूसरा चरण विशेष फ्रंटियर फोर्स, भारतीय सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ जुड़ा होता है।
- इस चरण में सफल होने वाले लोग की प्रशिक्षण के अगले चरण में जगह बना पाते हैं।
- इस दौरान उन्हें कठिन शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है।
- इसका उद्देश्य भावी जवानों के हर परिस्थिति का मुकाबला करने के योग्य बनाना होता है।
- इस कठिन परीक्षण में सफल होने वाले लोगों को आगरा स्थित पैराशूट ट्रेनिंग स्कूल में भेजा जाता है।
- यहां उन्हें आपात स्थिति में चलते हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर से प्रभावित क्षेत्र में कार्रवाई को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
- उन्हें पैराशूट की सहायता कूदने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इस दौरान रंगरूट मार्कोज और पैरा कमांडो की तरह ही पैरा बैज पहनते हैं।
- गरुड़ कमांडो को मिजोरम स्थित सेना के जवाबी कार्रवाई और जंगल वारफेयर स्कूल (सीआईजेडब्ल्यूएस) में प्रशिक्षण दिया जाता है।
- दुनिया भर के अलग-अलग देशों की सेनाओं के सैनिक सीआईजेडब्ल्यूएस आते हैं, जो जवाबी कार्रवाई में भारत के व्यापक अनुभव से सीखते हुए ऐसी कार्रवाइयों को अंजाम देना सीखते हैं।
बेहद कठिन प्रशिक्षण से गुजरते हैं कमांडो
- गरुड़ कमांडो की ट्रेनिंग नौसेना के मारकोज और आर्मी के पैरा कमांडो के आधार पर की गई है।
- इन्हें एयरबोर्न आपरेशन (वायुयान संचालन), एयरफील्ड सीजर (हवाई क्षेत्र) पर कब्जा, और आतंकवादियों से मुकाबला करने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
- आतंकियों का सफाया करने के लिए गरुण कमांडो जम्मू और कश्मीर में इंडियन आर्मी के साथ कई काउंटर इन्सर्जेन्सी ऑपरेशन कर चुके हैं।
- शांति के समय उनकी मुख्य जिम्मेदारी होती है, वायुसेना की एयरफील्ड्स की सुरक्षा करना।
सेना की कार्रवाइयों के साथ होती है शुरुआत
प्रशिक्षण के अंतिम चरण में गरुड़ कमांडो को भारतीय सेना के पैरा कमांडो की सक्रिय इकाइयों के साथ जोड़ा जाता है, ताकि उन्हें कार्य करने का पहला अनुभव मिल सके। इस दौरान वह उन कार्यों को अंजाम देते हैं जिनका प्रशिक्षण उन्हें अब तक मिला होता है। इस दौरान यह परखा जाता है कि जो प्रशिक्षण उन्हें दिया गया है उस पर वह किस स्तर तक खरे उतरे हैं।
घातक हथियारों से रहते हैं लैस
- भारतीय वायुसेना के गरुड़ कमांडो को दुनिया की कुछ सबसे खतरनाक हथियारों से लैस किया गया है।
- इनके पास जहां साइड आर्म्स के तौर पर Tavor टीएआर -21 असॉल्ट राइफल होता है, वहीं ग्लॉक 17 और 19 पिस्टल भी दिए जाते हैं।
- इसके अलावा क्लोज क्वॉर्टर बैटल के लिए हेक्लर ऐंड कॉच MP5 सब मशीनगन, AKM असॉल्ट राइफल, एके-47 और शक्तिशाली कोल्ट एम-4 कार्बाइन भी इन्हें दी जाती है।
- गरुड़ कमांडो के पास इजराइल में बने किलर ड्रोन्स हैं, जो टारगेट पर बिना किसी आवाज के मिसाइल फायर कर सकते हैं।
- मॉडर्न हथियारों से लैस गरुड़ कमांडो हवाई हमले, दुश्मन की टोह लेने, स्पेशल कॉम्बैट और रेस्क्यू ऑपरेशन्स के लिए ट्रेंड होते हैं।
- एयरफोर्स के कमांडो स्निपर्स से भी लैस होते हैं जो चेहरा बदलकर दुश्मन को झांसे में लाता है और फिर मौत के घाट उतार देता है।
- गरुड़ स्पेशल फोर्स के पास 200 UAV ड्रोन के साथ-साथ ग्रेनेड लांचर भी हैं।
गरुड़ कमांडो (Garud Commando) फोर्स का वेतन
गरुड़ कमांडो के सब लेफ्टिनेंट की सैलरी 72100 से लेकर 90600 तक होती है, और भारत द्वारा दी गई कई अन्य सुविधाएं जैसे कि हाउस रेंट एलाउंसेस ग्रेड पे और ऐसे ही कई सुविधाएं बच्चों के लिए और परिवार के लिए।
Sir I Am Also Garuda commando , I love Garud Commando ,My Dream Garud Commando 💯