भारतीय वायुसेना के पास लगभग 582 ऐसे लड़ाकू एयरक्राफ्ट(active fighter aircraft) है जो वर्तमान समय में सेवा दे रहे हैं। भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल सात प्रकार के फाइटर एयरक्राफ्ट हैं जिसमें सुखोई एसयु-30 एमकेआई, राफेल, तेजस, मिराज 2000, मिग-29, मिग-21 और जेगुवार शामिल हैं।
आइए एक बार नजर डालते हैं कि भारतीय वायुसेना के पास जितने फाइटर एयरक्राफ्ट(Indian Air Force Fighter Planes List) हैं उनकी क्षमताएं और विशेषताएं क्या हैं….
Table of Contents
1. राफेल Fighter Jet
उत्पत्ति का देश | फ्रांस |
उत्पादक | डेसॉल्ट विमानन |
प्रथम उड़ान | राफेल ए डेमो: 4 जुलाई 1986 |
प्राथमिक उपयोक्तागण | फ्रांसीसी वायुसेना फ्रेंच नौसेना मिस्र की वायुसेना |
लंबाई | 15.27 मीटर (50 फीट 1 इंच) |
ऊंचाई | 5.34 मीटर (17 फीट 6 इंच) |
खाली वजन | 10,300 किलोग्राम (B) 9,850 किलोग्राम (C) 10,600 किलोग्राम (M) |
उपयोगी भार | 15,000 किलोग्राम |
अधिकतम उड़ान वजन | 24,500 किलोग्राम |
अधिकतम गति | High altitude: Mach 1.8 (1,912 किमी/घंटा, 1,032 समुद्री मील) Low altitude: Mach 1.1 (1,390 किमी/घंटा, 750 समुद्री मील) |
- राफेल विमान फ्रांस की विमानन कंपनी दसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाया गया 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है।
- भारत के अलावा मिस्र और कतर के पास भी यह लड़ाकू विमान मौजूद है।
- लगभग दो दशक तक भारतीय वायु सेना लंबी दूरी की मारक क्षमता वाले हथियारों और अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली की कमी का सामना कर रही थी, इस प्रकार राफेल लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना के लिये निर्णायक साबित होंगे।
- सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि राफेल लड़ाकू विमान खतरे की स्थिति में भारतीय वायु सीमा को पार किये बिना भी दुश्मन के लड़ाकू विमानों पर निशाना साध सकते हैं।
- राफेल लड़ाकू विमान एक मल्टीरोल फाइटर विमान है जिसे फ़्रांस की डेसॉल्ट एविएशन नाम की कम्पनी बनाती है। राफेल-A श्रेणी के पहले विमान ने 4 जुलाई 1986 को उडान भारी थी जबकि राफेल-C श्रेणी के विमान ने 19 मई 1991 को उड़ान भरी थी। वर्ष 1986 से 2019 तक इस विमान की 201यूनिट बन चुकी हैं। राफेल A,B,C और M श्रेणियों में एक सीट और डबल सीट और डबल इंजन में उपलब्ध है।
- राफेल हवा से हवा के साथ हवा से जमीन पर हमले के साथ परमाणु हमला करने में सक्षम होने के साथ-साथ बेहद कम ऊंचाई पर उड़ान के साथ हवा से हवा में मिसाइल दाग सकता है। इतना ही नहीं इस विमान में ऑक्सीजन जनरेशन सिस्टम लगा है और लिक्विड ऑक्सीजन भरने की जरूरत नहीं पड़ती है।
- यह विमान इलेक्ट्रानिक स्कैनिंग रडार से थ्रीडी मैपिंग कर रियल टाइम में दुश्मन की पोजीशन खोज लेता है। इसके अलावा यह हर मौसम में लंबी दूरी के खतरे को भी समय रहते भांप सकता है और नजदीकी लड़ाई के दौरान एक साथ कई टारगेट पर नजर रख सकता है साथ ही यह जमीनी सैन्य ठिकाने के अलावा विमानवाहक पोत से भी उड़ान भरने के सक्षम है।
- फ्रांस द्वारा 5 राफेल विमानों की पहली खेप 29 जुलाई को भारत पहुंच गयी है। ये राफेल विमान, फ्रांस से अंबाला पहुंचे और यहीं पर आधिकारिक तौर पर इन्हें भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि राफेल के भारत आने के बाद दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन में भारत की भूमिका बहुत अहम् हो जाएगी।
- भारत ने अपनी वायुसेना को मजबूत करने के लिए वर्ष 2007 में मल्टीरोल नए लड़ाकू विमानों के लिए टेंडर जारी किये थे जिसमें अमेरिका के एफ-16, एफए-18, रूस के मिग-35, स्वीडेन के ग्रिपिन, फ्रांस के राफेल और यूरोपीय समूह के यूरोफाइटर टाइफून की दावेदारी पेश की थी। 27 अप्रैल 2011 को परीक्षण की आखिरी दौड़ में यूरोफाइटर और राफेल ही भारतीय परिस्तिथियों के अनुकूल पाए गए थे और अंततः 31 जनवरी 2012 को सस्ती बोली व फील्ड ट्रायल के दौरान भारतीय परिस्थितियों और मानकों पर सबसे खरा उतरने के कारण यह टेंडर राफेल को दिया गया था।
- भारत को अब पांचवी पीढ़ी के विमानों की जरुरत पड़ रही है क्योंकि दुनिया के लगभग सभी देशों के पास उन्नत किस्म के लड़ाकू विमान हैं। यहाँ तक कि पाकिस्तान ने भी चीन से एडवांस्ड पीढी के विमान जेएफ-17 और अमेरिका से एफ-16 खरीद लिए हैं ऐसे में भारत अब पुरानी तकनीकी के विमानों पर ज्यादा निर्भर नहीं रह सकता है।
2. सुखोई-30 एमकेआई
उत्पत्ति का देश | रशिया / भारत |
उत्पादक | हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड( under licence from Sukhoi) |
प्रथम उड़ान | भारतीय वायिसेना एसयू-30: 01/07/1997 |
प्राथमिक उपयोक्ता | भारतीय वायुसेना |
लंबाई | 21.935 मीटर (72 फीट 0 इंच) |
ऊंचाई | 6.36 मीटर (20 फीट 10 इंच) |
खाली वजन | 18,400 किलोग्राम |
कुल वजन | 26,090 किलोग्राम |
अधिकतम टेकऑफ़ वजन | 38,800 किलोग्राम |
अधिकतम गति | उच्च ऊंचाई पर 2,120 किमी / घंटा /एम 2.0 कम ऊंचाई पर 1,350 किमी / घंटा / M1.09 |
- सुखोई 30 एमकेआई(Sukhoi-30 MKI) भारतीय वायुसेना का अग्रिम पन्क्ति का लड़ाकू विमान है। इसके नाम में स्थित एम के आई(MKI) का विस्तार मॉडर्नि रोबान्बि कॉमर्स्कि इंडिकि है यानि आधुनिक व्यावसायिक भारतीय (विमान)।
- यह रूस के सुखोई और भारत के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से निर्मित लंबी दूरी का फॉइटर जेट है।
- यह एक बार में 3000 किमी. तक की दूरी तय कर सकता है तथा इसमें हवा में ही ईधन भरा जा सकता है।
- रूसी सुखोई एसयु-30 एमकेआई (Sukhoi-30 MKI) भारतीय वायुसेना में एक ताकतवर एयरक्राफ्ट माना जाता है। भारतीय वायुसेना के पास 272 सक्रिय सुखोई एसयु-30 एमकेआई (Sukhoi-30 MKI) हैं, इस एयरक्राफ्ट में दो इंजन हैं और दो चालको के बैठने की जगह है। इनमें से कुछ एयरक्राफ्ट को सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस को लॉन्च करने के लिए भी अपग्रेड किया गया है।
- सुखोई विमान 3,000 किलोमीटर तक हमला कर सकता है। जबकि इसकी क्रूज रेंज 3,200 किलोमीटर तक है और कॉम्बेट रेडियस 1,500 किलोमीटर है। वजन में भारी होने के बावजूद यह लड़ाकू विमान अपनी तेज़ गति के लिये जाना जाता है। यह विमान आकाश में 2,120 किलोमीटर प्रति घंटा की तेज रफ्तार से फर्राटा भर सकता है।
- रूस में निर्मित Sukhoi Su-30MKI उड़ान के दौरान ही फ्यूल भर सकता है। इस फाइटर प्लेन में 12 टन तक युद्धक सामग्री लोड की जा सकती है। इस विमान में भी रफाल की तरह डबल इंजन लगे हुए हैं जो इमरजेंसी की स्थिति में पायलट को मदद करते हैं।
- रूस के सहयोग से भारत (Made In India) द्वारा निर्मित सुखोई-30 एमकेआई(Sukhoi-30 MKI) को दुनिया के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में एक माना जाता है। इसे बनाने के लिए भारत और रूस के बीच 2000 में समझौता हुआ था। भारत को पहला सुखोई-30 विमान 2002 में मिला था।
- रूस के सहयोग से भारत ने 2015 में स्वेदश निर्मित सुखोई-30 एमकेआई (Sukhoi-30 MKI) को भारतीय वायुसेना में शामिल करके अपनी ताकत कई गुना बढ़ा ली।
- इस विमान में है ऑटोमेटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम
- लंबाई से लेकर रेंज और मिसाइल ले जाने की क्षमता तक के मामले में सुखोई-30 एमकेआई (Sukhoi-30 MKI)को अमेरिका F-16 से बेहतर माना जाता है। इसमें सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम लगा है, जो इसे किसी भी मौसम में दिन और रात दोनों वक्त काम करने के काबिल बनाता है। साथ ही इसमें लॉन्ग रेंज रेडियो नेविगेशन सिस्टम है। इसमें ऑटोमेटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम है। ऑटोमेटिक सिस्टम से नेविगेशन सिस्टम को जानकारी मिलते ही यह खुद ही फ्लाइट के रूट से जुड़ी समस्याओं को ही सुलझा लेता है। इसमें टारगेट को नेस्तनाबूद करने के साथ ही वापस अपने एयरफील्ड तक लैंडिंग करना शामिल है।
3. स्वदेशी सुपरसोनिक लड़ाकू विमान तेजस
उत्पत्ति का देश | भारत |
उत्पादक | हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL, हाल) |
प्रथम उड़ान | 4 जनवरी 2001 |
लंबाई | 13.20 मी (43 फ़ीट 4 इंच) |
ऊंचाई | 4.40 m (14 ft 9 inch) |
खाली वजन | 5680 किलो |
उपयोगी भार | 9500 किलो |
अधिकतम उड़ान वजन | 13,500 किलो |
अधिकतम गति | मैक 1.8 (2,376+ km/h उंचाई पर) 15,000 मी० पर |
- लड़ाकू विमान के बारे में अक्सर एक बात कही जाती है, कि दुनिया में जिस देश के पास सबसे ताकतवर वायुसेना होती है, उसे ही सबसे शक्तिशाली माना जाता है और किसी भी वायुसेना की सबसे बड़ी ताकत होते हैं उसके लड़ाकू विमान।
- वायुसेना के सबसे ताकतवर एयर क्राफ्ट में से एक तेजस पलक झपकते ही आसमान की बुलंदियों में पहुंच जाता हैं।
- वायुसेना की जिस 18वीं Squadron में तेजस को शामिल किया गया है, उसकी स्थापना वर्ष 1965 में की गई थी जिसका आदर्श वाक्य था तीव्र और निर्भय | पाकिस्तान के साथ 1971 की जंग में इस Squadron की अहम भूमिका रही थी | ये Squadron 15 अप्रैल 2016 से पहले तक मिग-27 विमान उड़ा रही थी |
- तेजस 42% कार्बन फाइबर, 43% एल्यूमीनियम एलॉय और टाइटेनियम से बनाया गया है |
- तेजस सिंगल सीटर पायलट वाला विमान है, लेकिन इसका ट्रेनर वेरिएंट 2 सीटर है |
- यह अब तक करीब 3500 से ज्यादा बार उड़ान भर चुका है |
- तेजस एक बार में 54 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है |
- LCA तेजस (Tejas aircraft)को विकसित करने की कुल लागत 7 हजार करोड़ रुपए रही है |
- 2376 किमी प्रति घंटा की गति से उड़ान भरने में सक्षम |
- 3000 किमी की दूरी तक एक बार में भर सकता है उड़ान |
4. SEPECAT JAGUAR
उत्पत्ति का देश | फ्रांस / यूनाइटेड किंगडम |
उत्पादक कम्पनी | SEPECAT ( ब्रेगेट / BAC ) |
पहली उड़ान | 8 सितंबर 1968 |
प्राथमिक उपयोगकर्ता | भारतीय वायु सेना (वर्तमान उपयोगकर्ता) रॉयल एयर फोर्स (ऐतिहासिक) फ्रांसीसी वायु सेना (ऐतिहासिक) ओमान की शाही वायु सेना (ऐतिहासिक) |
लंबाई | 16.83 मीटर (55 फीट 3 इंच) |
ऊंचाई | 4.89 मीटर (16 फीट 1 इंच) |
खाली वजन | 7,000 किलो |
कुल भार | 10,954 किलोग्राम |
अधिकतम टेकऑफ़ वजन | 15,700 किलोग्राम |
अधिकतम गति | समुद्र तल पर 1,350 किमी / घंटा |
- SEPECAT जगुआर लड़ाकू विमान को ब्रिटिश रॉयल वायु सेना और फ्रांसीसी वायु सेना द्वारा विकसित किया गया है।
- जगुआर(SEPECAT JAGUAR) को कई विदेशी देशों में सफलतापूर्वक बेचा गया, भारत सबसे बड़ा ऑपरेटर है।
- केवल भारतीय वायु सेना वर्तमान में सक्रिय ड्यूटी में उन्नत जगुआर का उपयोग कर रही है। इसे भारत में ‘शमशेर’ के नाम से जाना जाता है और इसे हवा से जमीन पर हमला करने में महाराथ हासिल है।
- भारतीय जगुआर RAF(Royal Air Force) के जगुआर से काफी अलग है और एक लाइसेंस समझौते के तहत HAL(Hindustan Aeronautics Limited) द्वारा बनाया गया है।
- 1987 और 1990 के बीच श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा बल के समर्थन में टोही अभियानों को अंजाम देने के लिए भारतीय जैगुआर का उपयोग किया गया था।
- सी ईगल मिसाइल से लैस एंटी-शिप रोल के लिए जगुआर का इस्तेमाल कम संख्या में किया जाता है ।
- जगुआर(SEPECAT JAGUAR) को सफलता के उचित अवसरों के साथ परमाणु हमले की भूमिका निभाने में सक्षम कुछ विमानों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है।
- भारतीय वायु सेना ने 2013 में शुरू होने वाले 125 जगुआर को उन्नत करने की योजना बनाई है, जिसमें डारिन III कार्यक्रम के हिस्से के रूप में एविओनिक्स (मल्टी मोड रडार, ऑटो-पायलट और अन्य परिवर्तन सहित) को अपग्रेड करके और अधिक शक्तिशाली इंजन फिटिंग पर विचार किया जा रहा है।
- हनीवेल F125IN , प्रदर्शन में सुधार करने के लिए, विशेष रूप से मध्यम ऊंचाई पर नवीनतम अपग्रेड कार्यक्रम DARIN III (डिस्प्ले अटैक रेंजिंग इनर्टियल नेविगेशन) को भी मंजूरी दी गई है।
- DARIN II अपग्रेड के भाग के रूप में स्थापित नए एवियोनिक्स और उपकरणों के अलावा, DARIN III में संशोधित एवियोनिक्स आर्किटेक्चर, दोहरी SMD के साथ नया कॉकपिट, सॉलिड स्टेट फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और सॉलिड स्टेट वीडियो रिकॉर्डिंग सिस्टम, ऑटो पायलट सिस्टम, नई मल्टी का एकीकरण शामिल होगा।
- जगुआर (SEPECAT JAGUAR)आईएस पर मोड रडार (वर्तमान में केवल जगुआर आईएम रडार से लैस हैं)। रडार को समायोजित करने के लिए वायु ढांचे पर प्रमुख संरचनात्मक संशोधन किया जाएगा। भारतीय वायुसेना को दिए गए प्रारंभिक जगुआर दो एडोर 804 ई द्वारा संचालित थे; आगे की डिलीवरी Adour Mk811 द्वारा संचालित की गई थी।
5. Dassault Mirage 2000
उत्पत्ति का देश | फ्रांस |
उत्पादक कंपनी | डसॉल्ट एविएशन, एसएनईसीएमए, थॉमसन-सीएसएफ |
पहली उड़ान | 10 मार्च 1978 [मिराज 2000C] |
लंबाई | 50 फीट, 3 इंच (14.36 मीटर) |
ऊँचाई | 5.30 मीटर |
खाली वजन | 7,600 किलोग्राम [मिराज 2000C] |
अधिकतम वजन | 16,500 किलोग्राम |
अधिकतम गति | Mach 1,2 [कम ऊंचाई] Mach 2,2 [उच्च ऊंचाई] |
अस्त्र – शस्त्र | तोप: 2 जीआईएटी डेफा 554 डी 30 मिमी हवा-हवा: मिसाइल MICA, मैजिक 2, सुपर 530F, सुपर 530D स्काई फ्लैश। एयर-ग्राउंड बम: बीजीएल 1000, बीएम 400, बीएपी 100 एयर-ग्राउंड मिसाइल: डुरंडल, बेलौगा, आर्मैट, अपाचे, स्केल्प, एएस 30 एल, एएम 39, एएसएमपी |
- भारत ने पहली बार इसे 80 के दशक में ख़रीदने का ऑर्डर दिया था।
- भारत के पास वर्तमान में 49 “मिराज 2000” हैं।
- दो इंजन होने की वजह से “मिराज-2000” के क्रैश होने की संभावना बेहद कम है।
- करगिल युद्ध में “मिग-21” के साथ “मिराज-2000” विमानों ने भी अहम भूमिका निभाई थी।
- “मिराज 2000” एक सीटर वाला फाइटर जेट है।
- भारत में “मिराज-2000(Dassault Mirage 2000)” का पहली बार इस्तेमाल 1999 के कारगिल युद्ध में किया गया था। कारगिल युद्ध के समय जब “मिग-21” और “मिग-27” नाकाम हो रहे थे, तब भारत ने पाकिस्तान की सप्लाय लाइन ध्वस्त करने के लिए “मिराज-2000” का इस्तेमाल किया।
- “मिराज- 2000(Dassault Mirage 2000)” लड़ाकू विमान को भारतीय वायु सेना ने वज्र नाम दिया है।
- साल 2015 में कंपनी ने अपग्रेडेड “मिराज-2000” लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना को सौंपे। इन अपग्रेडेड विमानों में नए रडार और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगे हैं, जिनसे इन विमानों की मारक और टोही क्षमता में भारी इज़ाफ़ा हो गया है।
- “मिराज-2000(Dassault Mirage 2000)” विमान एक साथ कई काम कर सकता है। जहां एक ओर यह अधिक से अधिक बम या मिसाइल गिराने में सक्षम है। वहीं यह हवा में दुश्मन का मुक़ाबला भी आसानी से करने के योग्य है।
- ये विमान आसमान से आसमान में मार करने वाली और आसमान से ज़मीन पर मार करने वाली मिसाइलें, लेज़र गाइडेड मिसाइलें, परमाणु शक्ति से लैस क्रूज़ मिसाइलें ले जाने में सक्षम है।
- फ्रांस के इस सामरिक, मल्टीरोल फाइटर / बॉम्बर को कम ऊंचाई के साथ तेज गति से दुश्मन के भीतरी ठिकानों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
6. मिग-21 बाइसन
उत्पादक देश | सोवियत संघ (रूस) |
उत्पादक कम्पनी | मिकोयान-गुरेविच |
प्रथम उड़ान | 14 फ़रवरी 1955 |
प्राथमिक उपयोक्तागण | सोवियत वायुसेना पोलिश वायुसेना भारतीय वायुसेना रोमानियन वायुसेना |
लंबाई | 14.7 मी (48 फीट 2 इंच) |
ऊंचाई | 4 मी (13 फीट 6 इंच) |
खाली वजन | 5,846 किलोग्राम |
उपयोगी भार | 8,725 किलोग्राम 2 × के-13ए मिसाइल के साथ |
अधिकतम उड़ान वजन | 9,800 किलोग्राम |
अधिकतम गति | समुद्र स्तर पर: मैक 1.05 (1,300 किमी/घंटा; 808 मील प्रति घंटा) 13,000 मी (42,640 फीट) पर: मैक 1.76 , उच्च ऊंचाई: मैक 1.8 (1,912 किमी/घंटा, 1,032 समुद्री मील) (2,175 किमी/घंटा; 1,351 मील प्रति घंटा) |
- मिग-21 बाइसन आधुनिक हथियारों से लैस मिग-21 सिरीज़ का सबसे उन्नत लड़ाकू विमान है। इसका उपयोग इंटरसेप्टर के रूप में किया जाता है।
- इंटरसेप्टर लड़ाकू विमानों को दुश्मन के विमानों, ख़ासकर बमवर्षकों और टोही विमानों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है।
- भारतीय वायुसेना ने पहली बार 1960 में मिग-21 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था।
- करगिल युद्ध के बाद से भारतीय वायुसेना अपने बेड़े से पुराने मिग-21 विमानों को हटाकर इसी के उन्नत मिग-21 बाइसन को शामिल की है।
- मिग-21 बाइसन(Mig 21 Fighter Plane) में एक बड़ा सर्च एंड ट्रैक रडार लगा है जो रडार नियंत्रित मिसाइल को संचालित करता है और रडार गाइडेड मिसाइलों का रास्ता तय करता है।
- इसमें बीवीआर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जो आखों से ओझल मिसाइलों के ख़िलाफ़ सामान्य लेकिन घातक लड़ाकू विमान को युद्ध क्षमता के योग्य बनाता है।
- इन लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रॉनिक और इसकी कॉकपिट उन्नत क़िस्म की होती है।
- मिग-21 बाइसन (Mig 21 Fighter Plane) सुपरसोनिक लड़ाकू जेट विमान है जो लंबाई में 14.76 मीटर और चौड़ाई में 7.15 मीटर है। बिना हथियारों के ये क़रीब 5846 किलोग्राम को होता है जबकि असलहा लोड होने के बाद क़रीब 8,725 किलोग्राम तक के वज़न के साथ उड़ान भर सकता है।
- सोवियत रूस के मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो ने इसे 1955 में बनाना शुरु किया था।
- बाद के दौर में इसे और बेहतर बनाने की प्रक्रिया चलती रही और इसी क्रम में मिग को अपग्रेड कर मिग-बाइसन सेना में शामिल किया गया।
7. मिग-29(mig 29)
उत्पत्ति का देश | सोवियत संघ रूस |
उत्पादक | मिकोयान |
प्रथम उड़ान | 6 अक्तुबर 1977 |
प्राथमिक उपयोक्तागण | रूसी वायु सेना भारतीय वायुसेना युक्रेनियन वायुसेना उस्बेकिस्तानी वायुसेना |
लंबाई | 17.32 मीटर (56 फीट 10 इंच) |
ऊंचाई | 4.73 मीटर (15 फीट 6 इंच) |
खाली वजन | 11,000 किलो |
कुल भार | 14,900 किलोग्राम |
अधिकतम टेकऑफ़ वजन | 18,000 किलोग्राम |
अधिकतम गति | उच्च ऊंचाई पर 2,400 किमी / घंटा |
- मिग 29 तैयार किए जाने से लेकर 40 साल तक सेवाएं देने में सक्षम है।
- आसमान की ओर सीधे 90 डिग्री कोण में टेकऑफ संभव है।
- मिग-29 ने 1999 में कारगिल के दौरान 15 हजार फीट की ऊंचाई पर दुश्मन चौकियां नष्ट की थीं |
- हवा से हवा, हवा से सतह और हवा समुद्री कार्रवाई में सक्षम है।
- दुश्मन के विमान को देख 5 मिनट में टेकऑफ की क्षमता है।
- ग्लास कॉकपिट, डिजिटल स्क्रीन जैसे अत्याधुनिक तकनीक से लैस |
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