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RPF फुल फॉर्म (RPF Full Form in hindi)
RPF Full Form in hindi : आरपीएफ यानी Railway Protection Force जिसे हिंदी में रेलवे सुरक्षा बल कहते हैं,भारत के सर्वोत्तम सुरक्षा बलों में सेे एक है। यह ऐसा सुरक्षा बल है, जो देश में रेल यात्रियों की सुरक्षा, भारतीय रेलवे की सम्पत्तियों की रक्षा तथा किन्हीं देश विरोधी गतिविधियों में रेलवे सुविधाओं के इस्तेमाल की निगरानी रखना है। यह एक केंद्रीय सैन्य सुरक्षा बल है, जो पैरा मिलिट्री फोर्स के रूप में भी जाना जाता है, जिसे दोषियों को गिरफ्तार करने, जाँच पड़ताल करने एवं अपराधियों के विरुद्ध मुकदमा चलाने का अधिकार है। यह प्रायः आरपीएफ के नाम से जाना जाता है। यह सुरक्षा बल भारतीय रेल मंत्रालय के अधीन होता है।
रेलवे पुलिस बल( RPF) का उद्देश्य
- यात्री क्षेत्र, रेल यात्रियों और रेलवे संपत्ति की सुरक्षा में अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करना।
- ट्रेनों, रेलवे परिसर और यात्री क्षेत्र से सभी असामाजिक तत्वों को हटाकर यात्री-यात्रा और सुरक्षा को सुगम बनाना।
- भारतीय रेलवे की दक्षता और छवि को सुधारने में रेलवे के अन्य विभागों के साथ सहयोग करना।
- शासकीय रेलवे पुलिस/स्थानीय पुलिस और रेल प्रशासन के बीच एक सेतु का कार्य करना।
- महिलाओं और बच्चों के अवैध व्यापार को रोकने के लिए सतर्क रहना और रेलवे क्षेत्रों में पाए जाने वाले बेसहारा बच्चों के पुनर्वास के लिए उचित कार्रवाई करना।
- इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सभी आधुनिक तकनीक, सर्वोत्तम मानवाधिकार प्रथाओं, प्रबंधन तकनीकों और महिला और बुजुर्ग यात्रियों और बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष उपायों को सक्रिय रूप से अपनाएं रखना ही आरपीएफ जवानों का मेन उद्देश्य है।
रेलवे पुलिस बल( RPF) का स्थापना दिवस
रेल सुरक्षा बल अधिनियम 1957 को 20 सितम्बर 1985 को संशोधित किया गया, रेलवे सुरक्षा बल को, संशोधित अधिनियम के अनुसार भारत संघ का सशस्त्र बल का दर्जा प्राप्त हो गया। रेलवे सुरक्षा बल के इतिहास में महान और महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ, जिससे उनके कार्य का स्तर ऊंचा उठा और बल की श्रेणी में आ गये। भारत संघ के सशस्त्र बल का दर्जा प्राप्त होने पर आरपीएफ ने “स्थापना दिवस” सर्वप्रथम दिनांक 20/09/1986 को मनाया।
रेलवे सुरक्षा बल का इतिहास
- सन 1854 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने रेलवे में माल की सुरक्षा व रेल क्षेत्रों में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए कुछ व्यक्तियों के एक संगठन को बनाया गया जिसे ”पुलिस” कहा जाने लगा। यह कम्पनी के अधीन कार्य करती थी। सन 1861 में “पुलिस एक्ट” पास हुआ। “ईस्ट इण्डिया कम्पनी” द्वारा बनाई गई पुलिस को इसी पुलिस में शामिल कर दिया गया।
- 1861 का पुलिस एक्ट भारतवर्ष के लिए पास किया गया था इसमें बंगाल सरकार भी शामिल थी। 1870 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी व बंगाल सरकार में मतभेद हो जाने के कारण इस ’पुलिस संस्था’ का विभाजन दो भागों गवर्नमेंट पुलिस तथा प्राइवेट पुलिस में हो गया। गवर्नमेंट पुलिस का कार्य जनता में शांति और व्यवस्था बनाए रखना था जबकि प्राइवेट पुलिस रेल सम्पत्ति व माल की सुरक्षा करती थी।
- सन 1872 में सरकार द्वारा रेलवे के माल की सुरक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया गया। कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर पुलिस बल के कर्तव्यों को दो भागों में बांटा गया। अपराध पर नियन्त्रण करना तथा यार्ड, माल एवं अन्य रेलवे सम्पत्ति की देखभाल करना।
- इसी समय यह जरूरत महसूस की गई कि रेलवे के पास अपना देख-रेख व निगरानी करने वाला ”वाच एण्ड वार्ड” सिस्टम हो।
- सन 1881 में सरकार ने एक दूसरी कमेटी नियुक्त की जिसने पूर्ण रूप से रेलवे सम्पत्ति की सुरक्षा का भार” वाच एण्ड वार्ड” को देने की सिफारिश की और रेलवे पुलिस जो इस काम के लिए लगाई गई थी उसको वापस कर दिया गया और 1882 में सरकार ने सभी रेल कम्पनियों को अपने माल की सुरक्षा के लिए ”वाच एण्ड वार्ड” प्रथा लागू करने के लिए सूचित किया। इस प्रकार ”वाच एण्ड वार्ड” का जन्म हुआ।
- रेलवे में बढ़ते हुए अपराधों की रोकथाम के लिए ”वाच एण्ड वार्ड” के पुर्नगठन की आवश्यकता को देखते हुए सन 1953 में रेलवे बोर्ड द्वारा एक सुरक्षा सलाहकार समिति को नियुक्त किया गया। सलाहकार समिति की सलाह पर ”वाच एण्ड वार्ड” संस्था को “रेलवे सिक्योरिटी फोर्स” के रूप में बदल दिया गया। रेलवे सिक्योरिटी फोर्स ने 1954 से 1956 तक कार्य किया। इसी दौरान सन 1955 में रेलवे स्टोर्स (विधि विरूद्ध कब्जा) अधिनियम 1955 पास किया गया, जिसमें सिक्योरिटी फोर्स को कुछ अधिकार दिये गये, परन्तु अधिकार कम होने के कारण रेलवे में होने वाले अपराधों पर पूर्णतया अंकुश नहीं लगाया जा सका।
- उपरोक्त कमेटी की सलाह पर 13 जनवरी सन् 1956 को रेलवे सिक्योरिटी फोर्स का दूसरा नाम ”रेलवे सुरक्षा बल” रखा गया। 29 अगस्त 1957 में “रेल सुरक्षा बल अधिनियम” संसद द्वारा पास किया गया जो 10 सितम्बर 1959 को लागू हुआ, तब से रेल सुरक्षा बल का वैधानिक रूप से गठन हुआ। 10 सितम्बर 1959 को ही “रेलवे सुरक्षा बल नियम 1959“ भी लागू हुआ।
- देश की सीमा से लगे स्थानों तक रेलगाड़ियों को सुरक्षित पहुचाने व लाने के लिए क्षेत्रीय रेलों से ’रेल सुरक्षा बल’ से अधिकारियों तथा जवानों को इकट्ठा करके एक नये बल “रेलवे सुरक्षा विशेष बल” का गठन किया गया। इसका नाम सन् 1965 में रेल सुरक्षा विशेष बल रखा गया। इनका मुख्य कार्य रेल सुरक्षा बल की विशेष परिस्थितयों में सहायता करना है।
- वर्तमान में इसकी 12 बटालियनें हैं। इसका एक महानिरीक्षक होता है जो महानिदेशक/आरपीएफ के अधीन होता है।
रेलवे सुरक्षा विशेष बल की जिम्मेदारी
रेलवे सुरक्षा विशेष बल का मुख्य कार्य लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के दौरान बंदोबस्त ड्यूटी, मेला ड्यूटी, आतंकवाद व नक्सलवाद जैसे प्रभावित रेल क्षेत्रों में यात्रियों की सुरक्षा हेतु गाड़ी अनुरक्षण ड्यूटी, रेलवे सम्पत्ति की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में पेट्रोलिंग ड्यूटी इत्यादि है, जो कि रेलवे सुरक्षा विशेष बल द्वारा अपनी विशेष जवाबदेही के साथ अपनी कर्तव्यों को बड़ी सतर्कता के साथ सम्पन्न किया जाता है।
आरपीएफ जवानों से हुई गलतियों पर कानूनी संरक्षण
रेल सुरक्षा बल को बड़ी-बड़ी चुनौतियों का सामना ड्यूटी के दौरान करना पड़ता है। इसलिए कर्तव्य पालन में हुई गलतियों के लिए रेलवे सुरक्षा बल को कुछ कानूनी संरक्षण भी प्रदान किये गये है जैसे-भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता 45 के अंतर्गत संघ के सशस्त्र बलों का कोई भी सदस्य, अपने द्वारा शासकीय कर्तव्यों के पालन करते समय किए गए या किए जाने वाले किसी कार्य के लिए बगैर केन्द्र सरकार की अनुमति प्राप्त किये गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
आधुनिक संसाधनों से होते हैं लैस
रेलवे सुरक्षा बल प्रत्येक अनुरक्षित गाड़ियो में प्रशिक्षित व कुशल बल कर्मियों को आधुनिक संसाधनों जैसे ड्रैगन सर्च लाइट, वाकी-टाकी, सीयूजी फोन व आधुनिक स्वचालित हथियारों में शामिल एके-47, इन्सासव एस.एल.आर. से रेल यात्रियों को सुरक्षित एवं भयमुक्त यात्रा पूर्ण कराने हेतु प्रतिबद्ध है । रेलवे सुरक्षा बल में श्वान का काफी महत्व है। यह रेल एवं रेल यात्रियों की सम्पत्ति से संबंधित अपराधों को ढूंढ निकालने में सहायक है। इसकी मदद से बहुत से ही अपराधों को पता लगाया जा चुका है। यह बम तथा आपत्तिजनक पदार्थों को भी बड़ी कुशलता से पता लगा लेता है।
हेल्पलाइन नम्बर से होती है मदत
- रेलवे बोर्ड स्तर पर यात्री सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हेल्पलाइन नम्बर 1800111322 जारी किया गया है व महिलाओं की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए प्रत्येक क्षेत्रीय रेलों में अलग-अलग टोल फ्री नम्बर जारी किये गये हैं जैसे उत्तर मध्य रेलवे में 18001805315 जारी किया गया है व इस रेल के अधीन प्रत्येक मण्डलों में 1322 नम्बर जारी किया गया है। यह नम्बर बोर्ड स्तर पर तथा क्षेत्रीय व मण्डल स्तर पर उपलब्ध रहते है। इसका कुशल संचालन सुरक्षा नियन्त्रण कक्ष द्वारा किया जाता है। इसकी सेवा दिन-रात चालू रहती है।
- विगत वर्षों में रेलवे सुरक्षा बल में महिला बल सदस्यों की भागीदारी बढ़ायी गयी है, इससे महिला यात्री की सुरक्षा के प्रति अपराधों में कमी आई है। अभी हाल में रेल प्रशासन ने यात्री द्वारा किसी घटना की एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया में होने वाली परेशानियों को दूर करते हुए यात्रियों को यह सुविधा प्रदान कर दी है कि वे ट्रेन में ही प्राथमिकी दर्ज करवा सकते हैं। इसके लिए द्विभाषी फार्म सभी आरपीएफ स्कोर्ट पार्टी, आरपीएफ पोस्ट, रिजर्व कम्पनी, आरपीएफ बूथ, कोच कंडक्टर, कोच अटेंडेट, ट्रेन गार्ड, स्टेशन मास्टर, स्टेशन अधीक्षक आदि के पास मौजूद रहता है।
रेलवे सुरक्षा बल में नौकरी कैसे पाएं
- यह रेलवे का बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है, जिसके अंतर्गत समस्त रेलवे को सुरक्षा प्रदान की जाती है, इस विभाग के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण पद आते है, उन्ही में से कांस्टेबल और सब-इंस्पेक्टर का पद आता है, रेलवे में इन पदों पर भर्ती मंडल के अनुसार की जाती है, आप जिस मंडल के अंतर्गत आवेदन करेंगे, आप को वही पर चयन किया जायेगा।
- यदि आप सभी योग्यताओं और मानदंडों से परिपूर्ण है, तो आप आरपीएफ में पुलिस कांस्टेबल और सब-इंस्पेक्टर के पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। क्योंकि RRB हर साल आरपीएफ पुलिस कांस्टेबल (RPF Police Constable) की भर्ती आयोजित करता है। जिसकी जानकारी आधिकारिक वेबसाइट https://indianrailways.gov.in/ पर या विज्ञापन के माध्यम से दी जाती है। जिसके लिए आपको ऑनलाइन आवेदन करना होता है।
आरपीएफ के लिए पात्रता
रेलवे ने दोनों पदों के लिए अलग-अलग पात्रता रखी है, जो इस प्रकार से है:-
सब-इंस्पेक्टर पद के लिए
1. किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
2. इस पद के लिए अभ्यर्थी की आयु 20 से 25 वर्ष के बीच में होनी चाहिए।
कांस्टेबल पद के लिए
1. इस पद हेतु अभ्यर्थी को 10वीं / 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है |
2. अभ्यर्थी की आयु 18 से 25 वर्ष के बीच में होनी चाहिए |
रेलवे पुलिस बल चयन प्रक्रिया
रेलवे पुलिस बल की चयन प्रक्रिया को तीन भागों में विभाजित किया गया |
1. सीबीटी (कंप्यूटर आधारित परिक्षण)।
2. पीईटी (शारीरिक दक्षता परिक्षण)।
3. डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन (ज़रूरी कागज़ात सत्यापन)
लिखित परीक्षा पैटर्न
परीक्षा प्रकार – कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट
परीक्षा समय – 90 मिनट
कुल प्रश्न – 120 प्रश्न
शारीरिक दक्षता परीक्षा
रेलवे में इन पदों के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, इसको सफलतापूर्वक उत्तीर्ण होने पर ही चयन किया जाता है।
शारीरिक परीक्षण में ऊंचाई
पुरुषों के लिए- लगभग 165 सेमी (एससी के लिए 160 सेमी / एसटी के लिए 150 सेमी, पूर्व सैनिकों के लिए 165 सेमी)।
महिलाओं के लिए- लगभग 157 सेमी (एससी/एसटी 152 सेमी) मांगी जाती है।
छाती
पुरुषों के लिए – 80 सेमी (एससी / एसटी के लिए 76.2 सेमी) पुरुषों के लिए (विस्तार पर 5 सेमी)
महिलाओं के लिए 85 सेमी (एससी / एसटी के लिए 81.5 सेमी)।
That is very nice job 👍